झाबुआ चौपाल
जिला पंचायत में इसलिए भाजपा हारी!
जिला पंचायत अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के चुनाव में 14 सदस्यों के वोट से निर्णय होना था! जहां भाजपा के छः और कांग्रेस के छः सदस्य थे, इसके अलावा एक कांग्रेस का बागी और एक जयस का सदस्य था!
भाजपा-कांग्रेस के लिए बराबरी का मामला होने के बाद भी दो सदस्यों को अपने पक्ष में करने का भाजपा के पास अवसर था लेकिन भाजपा नहीं कर पाई! भाजपा के वरिष्ठ नेताओं मे आपसी तालमेल के अभाव के कारण पार्टी को नुकसान उठाना पडा! कांग्रेस के बागी जीते हुए सदस्य अकमाल डामोंर जिला पंचायत में उपाध्यक्ष बनना चाहते थे!
इसके लिए उन्हें भाजपा सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता थी! इसके बदले वो भाजपा के अध्यक्ष पद प्रत्याशी को अपना समर्थन देने को भी तैयार थे लेकिन, भाजपा के अलग-अलग गुट अपने चहेते सदस्य को अध्यक्ष-उपाध्यक्ष बनाना चाहते थे!
ऐसे में किसी एक नाम पर सहमति नहीं बन पाई! जिला पंचायत जैसी महत्वपूर्ण संस्था भाजपा ने अपनें हाथों से खो दी!
काॅलोनियों के बगीचे की जमीनों पर दबंगों-भूमाफियाओं का खेल!
शहर की काॅलोनियों की जमीनों पर भू-माफियाओं और दबंगों की नजर ऐसी पडी की शहर के कई बगीचों की रजिस्ट्रीयां निजी नामों पर हो गई! और यह सब जमीनों के दलालों और प्रशासन में बैठे भ्रष्ट अधिकारियों के संरक्षण मे हो रहा है!
इस काम के लिए कलेक्ट्रेट कार्यालय में कर्मचारियों का एक समूह है, जो ऐसे कामों में सक्रिय भूमिका निभाता है! अधिकारियों-कर्मचारियों और दलालों ने तों सरकार को ही नहीं छोडा, सरकारी जमीनें भी बिकवा दी!
हाल ही में नगर के मध्य स्थित बसंत काॅलोनी के बगीचे की जमीन का मामला सामनें आया है! अंदर खाने की जानकारी से पता चला है कि, बगीचे की जमीन को कांग्रेस के नेता ने अपने समर्थित नेता के नाम से खरीदनें का खेल खेला है! लेकिन मामला अभी अटक रहा है!
प्रदेश के नेता का अपनी विधानसभा में ही जनाधार नहीं!
अजजा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष और थांदला विधानसभा से भाजपा के पूर्व विधायक कलसिंह भाबर का जनाधार पंचायत चुनाव में सामनें आ गया!
जिला पंचायत चुनाव में अपनी ही विधानसभा में भाजपा को कांग्रेस ने करारी मात दी है। थांदला विधानसभा में जिला पंचायत की पांच सीटें है। चार सीटों पर कांग्रेस ने और एक जयस ने अपना कब्जा जमा लिया।
इस भारी पराजय से कलसिंह भाबर की लोकप्रियता और वर्चस्व पर दाग लगा है! जबकि माना जा रहा था कि आगामी लोकसभा चुनाव में श्री भाबर भाजपा का चेहरा हो सकते है!
सांसद और IAS पत्नी की मतदाताओं ने नहीं सुनी!
रतलाम सांसद गुमानसिंह डामोंर और उनकी रिटायर्ड आईएएस पत्नी सूरज डामोर अपने परिवार के सदस्य को पंचायत चुनाव में नहीं जिता सके! दरअसल सांसद के भाई जनपद सदस्य पद के लिए प्रत्याशी थे!
सांसद ने सपत्नीक अपने ही गृह क्षेत्र में घर-घर जाकर मतदाताओं से वोट मांगे नुक्कड़ सभाएं भी की! लेकिन मतदाताओं ने उनकी एक न सुनी!
सांसद की मंशा अपनें भाई के जनपद सदस्य बननें के बाद जनपद अध्यक्ष पद पर बैठानें की थी, जिसे मतदाताओं ने पूरी नहीं होने दी!
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