ब्यूरो रिपोर्ट झाबुआ
बेर की गांठ जिवो को सिद्ध नहीं बनने देती है:साध्वी पुण्य शीला जी
पेटलावद। सच्चे जीवन की शुरुआत एक ही दुश्मन नहीं रहने पर होती है ! संवत्सरी महापर्व वेर विसर्जन का पर्व है ! यह पर्व कहता है की दुश्मन को भी अपने पुत्र के समान मानो तभी पर्व पर्यूषण सही अर्थों में मनाना सार्थक होगा! उक्त बात पुण्य पुण्य पूज्य साध्वी श्री पुण्य शीला जी ने पर्व पर्यूषण के शिखर दिवस पर विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहीं!
उन्होंने कहा कि स्कूल में सो प्रतिशत उपस्थिति रहें पर परीक्षा नहीं देते हैं तो उसका अगली श्रेणी में प्रवेश नहीं होगा! वैसे ही साल भर धर्म आराधना करें पर संवत्सरी क्षमा याचना नहीं करें तो वर्ष भर की आराधना व्यर्थ चले जाने के समान है!
यह दिन आत्मा को पहचानने का दिन है, भूलों को सुधारने का दिन है! बिना बड़प्पन व लघुता की भावना लाएं प्रायश्चित लेने का दिन है! छोटी चिंगारी देखकर उसे तत्काल पैरों से कुचल कर बुझा देना समझदारी है, वरना वह दावानल बनते देर नहीं करती हैं! वैसे ही छोटी-छोटी भूल को तत्काल सुधार ली जाए तो ठीक अन्यथा उसे फैलाते देर नहीं लगती और वह पूरे जीवन को दूषित कर देती है!
आपने आगे कहा की सफेद कपड़े का दाग पहने कपड़े का आनंद छीन लेता है , आंख में गिरा तिनका दुनिया नहीं देखने देता है पैर का कांटा बलशाली व्यक्ति को बेबस कर देता है बाल्टी का छेद पानी ऊपर तक नहीं आने देता है वैसे ही वेर की गांठ जीवो को शिव नहीं बनने देती है!
साध्वी महक श्री जी ने अन्तःगड सूत्र का वाचन पूर्ण करते हुए कहा शिखर दिवस हमें आत्मा विजय का लक्ष्य साधने की प्रेरणा दे रहा है ज्ञान दर्शन चरित्र की आराधना कर मोक्ष पाना है!
आज नवयुवक मंडल द्वारा सभी तपस्वीओं के सम्मान में चौबीसी का आयोजन किया गया संघ के कोषाध्यक्ष श्री विमल जी भंडारी व श्रीमती तीजा देवी राजेश जी मेहता की ओर से प्रभावना वितरित की गई तथा नवयुवक मंडल द्वारा प्रश्न मंच का आयोजन भी किया गया।
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