ब्यूरो रिपोर्ट झाबुआ
पर्युषण महापर्व में हुई जप तप व धर्मध्यान रूपी आराधना !
सकल जैन समाज ने सामुहिक रूप से किया खमतखामणा!
सभी जीवों से की क्षमायाचना!
पेटलावद। श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के 11वें अनुशास्ता युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी की विदुषी सुशिष्या शासनश्री मधुबालाजी आदि ठाणा-5 के सानिध्य में पर्युषण पर्व धार्मिक जप तप धर्मध्यान रूपी आराधना के साथ उत्साहपूर्वक मनाया गया, महापर्व का अंतिम दिन बुधवार को संवत्सरी पर्व व गुरुवार को क्षमायाचना दिवस (मैत्री दिवस) के रूप में संपन्न हुआ।
सकल जैन समाज ने सामुहिक रूप से किया खमतखामणा!
तेरापंथ भवन में विराजित महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी की सूशिष्या शासनश्री साध्वीश्री मधुबालाजी ठाणा-5 ने क्षमायाचना दिवस पर सकल जैन समाजजनो को अपने उद्बोधन में कहा कि जो व्यक्ति अपनी भूल को समझने लगे जाता है वह असली क्षमा है, इसमें व्यक्ति का दिल साफ होना चाहिए, असली क्षमा वही जिसमे दिल से दिल मिल जाये, आँख से आँख मिल जाये और बैर की गांठे खुल जाए।
आपने सत्य घटना का उल्लेख करते हुए बताया कि किस प्रकार व्यक्ति बैर भावना के साथ मरता है तो विराधक होकर दुर्गति को प्राप्त हो सकता है।
अतः हमें पर्युषण महापर्व से प्रेरणा लेकर मन को सरल बना कर सब प्रकार के बैर भावो से मुक्त होने का प्रयास करना चाहिए। इस अवसर पर साध्वीश्री मंजुलयशा जी ने अपने प्रेरक गीत के माध्यम से क्षमा के महत्च को बतलाया।
उक्त क्षमायाचना दिवस पर श्री जैन तेरापंथ भवन में तेरापंथ समाज, स्थानकवासी समाज, मन्दिर मार्गी व दिगम्बर समाज के समाजजन सामूहिक रूप से खमतखामणा हेतु उपस्थित हुए, सभी ने सामुहिक रूप से भवन में विराजित साध्वीवृन्द से खमतखामणा किया, व साध्वी वृन्द द्वारा भी सभी से शुद्ध अन्तःकरण से खमतखामणा किया गया।
इसमें श्री वर्धमान स्थानकवासी श्रावक संघ की ओर से वरिष्ठ श्रावक श्री सोहनलाल चाणोंदिया, त्रिस्तुतिक मूर्ति पूजक समाज की ओर श्री सुरेंद्र भंडारी, वरिष्ठ श्रावक श्री सुरेंद्र मेहता, बामनिया से आये श्री विमल मुथा और वर्तमान स्थानकवासी श्रावक संघ के अध्यक्ष श्री अनोखीलाल मेहता, महावीर समिति के अध्यक्ष श्री संजय चाणोदिया ने क्षमापना दिवस पर अपनी ओर से क्षमा याचना की।
उक्त अवसर पर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष मनोज गादीया द्वारा सभी का आभार व्यक्त किया गया। कार्यक्रम का संचालन तेरापंथी सभा के मंत्री राजेश वोरा ने किया
तपस्याओं की लड़ी लगीं!
साध्वीश्री जी की पावन प्रेरणा से पेटलावद व आसपास के चोखले सहित क्षेत्र में तपस्याओं का अच्छा क्रम चला। वर्तमान में करवड़ निवासी श्री अशोक श्रीमाल की गुरुवार को 56 उपवास की तपस्या है, साथ ही उनके आगे बढ़ने का भाव है!
कुछ दिनों पूर्व में थांदला में श्रीमती वंदनाजी इंदरजी रुनवाल ने मासखमण तप संपन्न किया है। साथ ही एक के 11 उपवास, चार के 9 उपवास, 16 अठाई, 10 पंचोले, 10 चोले एवं 155 तेले संपन्न हुए।
पर्युषण के प्रथम व अंतिम संवत्सरी के दिन सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं ने सामूहिक रूप से उपवास के प्रत्याख्यान एवं 100 से अधिक पौषध किये व अन्य तपस्या भी चल रही है। अंतिम दिन करीब 07:30 घण्टे निरंतर साध्वीवृन्द द्वारा प्रवचन दिए गए।
नवकार मंत्र का अखंड जप!
पर्युषण काल दौरान 7 दिनों तक प्रतिदिन नवकार मंत्र के अखंड जाप का क्रम तेरापंथ भवन में चला, जिसमें दिन में महिलाओं व रात्रि में पुरुषों ने तल्लीनता के साथ जाप किया, व किशोर मण्डल की भूमिका भी सराहनीय रही।
ज्ञानशाला के बाल तपस्वी!
साध्वीश्री जी की प्रेरणा से ज्ञानशाला के छोटे छोटे बच्चों ने उपवास, बेले के तप किये, साथ ही संवत्सरी पर पौषध भी किया। छोटे छोटे बच्चों में तपस्या को लेकर अच्छा उत्साह देखा गया।
पर्युषण पर्व में स्थानीय श्रावक- श्राविकाओं के अतिरिक्त आसपास के चोखले से भी बड़ी संख्या में श्रावक श्राविकाएँ प्रवचन सुनने के लिए उपस्थित रहें। उक्त जानकारी तेरापंथी सभा के मीडिया प्रभारी पियुष पटवा द्वारा दी गई।
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