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संस्कृत को जिसने अपनाया,वे आप ही संस्कारित हुए--स्वामी ऐश्वर्यानंद
ब्यूरो रिपोर्ट झाबुआ



ब्यूरो रिपोर्ट झाबुआ

संस्कृत को जिसने अपनाया,वे आप ही संस्कारित हुए--स्वामी ऐश्वर्यानंद

पेटलावद। कालीदास संस्कृत अकादमी उज्जयिनी मप्र संस्कृत परिषद के वाल्मीकी समारोह के अंतर्गत ग्राम बेकल्दा के शासकीय हायर सेकंडरी स्कुल मे मासिक संभाषण शिवीर का आयोजन किया गया था‍।

जिसमे 1 अगस्त से 30 अगस्त तक विघार्थीयो ने संस्कृत की बोलचाल भाषा का अनुभव लिया।शिवीर के समापन पर पेटलावद के उदय गार्डन मे कार्यक्रम आयोजित किया गया।

कार्यक्रम के शुरुआत मे मुख्य अतिथी अखिल भारतीय सेवा अभियान के पुज्य स्वामी ऐश्वर्यानंद सरस्वती,मुख्य अतिथी संस्कृत भारती के संगठन मंत्री प्रमोद पंडित,कालीदास अकादमी के प्रभारी निदेशक संतोष पंड्या आदि अतिथीयो ने सरस्वती माता,भारत माता का पुजन कर माल्यार्पण किया।


इसके बाद बेकल्दा की बालिकाओ ने सरस्वती वंदना की।कार्यक्रम के वरिष्ठ वक्ता स्वामी ऐश्वर्यानंद जी ने बताया कि समस्त वेद पुराण उपनिषद गीता सबमे संस्कृत विराजमान है। संस्कृत और समाज के प्रति आप सब लोग लगे रहे। संस्कृत भाषा हमारी संस्कृति को बचाने वाली भाषा है।



यह भाषा सरल होने के साथ-साथ व्यवहार मे सबसे उत्तम भाषा है। हमारा जन्म कही भी कुल मे हुआ है परंतु सत्कर्म मे लग रहे।उन्होने कहा कि संस्कृत को जिसने अपनाया मे वे आप ही संस्कारित हुए है।



कार्यक्रम मे अतिथी प्रमोद पंडित ने संस्कृत भाषा के महत्व और हमारे जुडाव को समझाया।उन्होने बताया कि संस्कृत पहले से ही हमारी संस्कृति मे विघमान है।यह भाषा नही देववाणी है।संस्कृत मे संस्कार है,हमारी बोली मे आज भी संस्कृत विघमान है।हमे बस समझना है।संस्कृत को अंत:करण मे उतारना आवश्यक है।


शिविर प्रशिक्षक मोहन डामर ने बताया कि झाबुआ जिले मे संस्कृत संभाषण शिवीर की शुरुआत किस प्रकार हुई।संस्कृत भाषा का हमारी परंपरा से ही जुडाव है।



इसके बाद बालको ने सुंदर सुर भाषा गीत प्रस्तुत किया।बच्चो ने संस्कृत भाषा के गीत पर नृत्य प्रस्तुत किया।साथ ही संस्कृत पर विभीन्न नाटको का प्रदर्शन किया।कार्यक्रम मे आभार प्रदर्शन डॉ संदीप नागर ने माना।




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