लंपी वायरस से मृत हो रहे गौ वंश के अंतिम संस्कार के लिये मुफ्त सेवा दे रहा पिटोल का एक पांचाल

पिटोल से निर्भय सिंह ठाकुर की रिपोर्ट


फोटो - पांचाल परिवार के लोग इस तरह गांवों में जाकर अपनी जेसीबी से गड्डा खोदकर गोवंश का करते है अंतिम संस्कार।

पिटोल से निर्भय सिंह ठाकुर की रिपोर्ट

लंपी वायरस से मृत हो रहे गौ वंश के अंतिम संस्कार के लिये मुफ्त सेवा दे रहा पिटोल का एक पांचाल परिवार!

गत 10 दिनों से लगातार हर दिन 3 से 4 गाय बेलों का कर रहे अंतिम संस्कार!

पिटोल ! गौ वंश में फैल रहे लंपी वायरस नें पिटोल क्षैत्र में तेजी से पेर पसारना प्रारंभ कर दिया है। वायरस की चपेट में आकर मवेशी काल के ग्रास बन रहे है। यहां विनोद पांचाल के परिवार की मवेशीयों के प्रति सहृदयता सामने आई है कि मवेशीयों का अंतिम संस्कार सम्मान से हो सके, पर्यावरण में भी शुद्धता बनीरहे!


मृत शरीर से कोई वायरस निकलकर किसी जीव जंतु पशु पक्षीयों को ओर संक्रमित न करे सुचना मिलते ही वे मृत पशुओं को दफनाने के लिये अपनी जेसीबी मशीन मुफ्त में उपलब्ध करवा रहे है फिर उन्हें चाहे 25 किमी दूर भी क्यों न जाना पडे। विनोद पंचाल नें बताया कि गत 10 दिन से वे 4 से 5 मवेशीयों का अंतिम संस्कार आस पास के गांव रेता, नागनखेडी,मलवान,खेडी, कालाखुंट, बावडी में कर चुके है। 


हालांकि जिला प्रशासन नें पिटोल में लगने वाले मवेशी हाट बाजार पर प्रतिबंध लगा दिया है। जिसको अमल में लाते हुवे पिटोल पंचायत नें यहां लगने वाले बाजार में किसानों द्वारा की जाने वाली गाय भैंसों की खरीदी बिक्रि पर रोक लगा रखी है किंतु यहां बाजार में बकरों व मुर्गो की बिक्रि अभी चालु है। संक्रमण के फैलने के मद्देनजर पूर्ण मवेशी हाट बाजार पर प्रतिबंध लगने की आवश्यकता किसानों में महसूस की जा रही है।


कईयों नें दुध का सेवन छोडा, पी रहे काली चाय!
पिटोल में तबेला संचालित कर रहे मिलन पांचाल नें बताया कि संक्रमण को लेकर हो रही मौतों के कारण अब आम लोगों में भय व्याप्त होता जा रहा है कि वे डर से दुध पीना छोड कर यदि चाय पीना आवश्यक हुआ तो वे काली चाय जो कि बगैर दुध के होती है खुद भी पी रहे है ओर अपने घर आने वाले मेहमानों को भी काली चाय ही पिला रहे है। 


मवेशियों के अंतिम संस्कार के लिये किसानों के घर पहुंच रहे हर्षित नें बताया कि मृत देह को हाथ लगानें से भी किसान परहेज कर रहे है उन्हें आशंका है कि इससे होने वाला संक्रमण कहीं उनके जीवन को भी नहीं लील ले। 


रिकवरी दर संतोषजनक लंपी से संक्रमित चिकित्सालय में आने वाले मवेशियों की संख्या 20 से 30 जरुर है किंतु इनमें रिकवरी 99 प्रतिशत है 1 प्रतिशत संक्रमित मवेशी की ही मौत हो रही है ओर वे भी ऐसे जो दुर्बल होकर संक्रमित हो गऐ है। जिनका ईलाज नियमित हो रहा है उनकी मौत नहीं हो रही है। 
डाॅ. अनिल कुमार मेडा वेटनरी सर्जन 



व्हाट्सएप्प ग्रुप से जुड़े Join Now

Post a Comment

Oops!
It seems there is something wrong with your internet connection. Please connect to the internet and start browsing again.
AdBlock Detected!
We have detected that you are using adblocking plugin in your browser.
The revenue we earn by the advertisements is used to manage this website, we request you to whitelist our website in your adblocking plugin.
Site is Blocked
Sorry! This site is not available in your country.