पिटोल से निर्भय सिंह ठाकुर की रिपोर्ट
समाज सुधार की दिशा में बढ़ाया कदम....
अब मेहमान नवाजी में नहीं मिलेगी अंग्रेजी शराब ओर न बजेगा डीजे!
पारंपरिक ढोल मांदल के साथ ही होगा वैवाहिक आयोजन!
नियमों पर भील पंचायत में एक सादे कागज पर सभी ने लगाए अंगुठे और किए हस्ताक्षर!
ग्रामीणों ने कहा - यहाँ जुबान की कीमत है।
पिटोल! होली, भगोरिया के करीब आने की आहट आते ही जिले के अलग अलग आदिवासी क्षैत्रों में शादी ब्याह का उल्लास अपने चरम की ओर बढने लगा है। शादीयों में होने वाले खर्च जिनमें दहेज दापा, शराब, डीजे के साथ ही बडी संख्या में वाहनों के काफिले के साथ दुल्हन के घर बारात लेकर जाने की पडती परम्परा, ओर उनके कारण बढते खर्चों से कर्जदार होते समाज में चिंता बढती जा रही है।
ऐसे में समाज के मुखिया तडवी, सरपंचों द्वारा गांव के लोगों को साथ बैठाकर सहमति से इन पर सुधार के निर्णय लिये जा रहे है । जिससे आदिवासी समाज के लोगों को कर्जदार होने से बचाया जा सके व उनके जीवन स्तर में आवश्यक सुधार हो सके।
इस माामले में प्रशासनिक स्तर पर किए जा रहे जन संवाद कार्यक्रम में लायी जा रही जागरुकता भी लोगों के लिये कारगर हो रही है।
शुक्रवार को पिटोल बडी के आदिवासी समाज के ग्रामीणों ने तडवी सरपंच की उपस्थिति में इन बातों पर अपनी सहमति दी व सर्वसम्मति से यह निर्णय लिये कि-----
वे समाज में होने वाले विवाह में व मौत मैयत में अंग्रेजी शराब की जगह महुऐ की बनाई गई शराब का उपयोग कर ही अपनी परम्परा निभाऐगें।
- पारम्परिक वाद्य यंत्र ढोल मांदल की जगह बढते डीजे के प्रचलन को रोक कर ढोल मांदल के साथ विवाहोत्सव में भाग लेंगे। जिससे विलुप्त होती संस्कृति को भी बचाया जा सकेगा व डीजे के बडे खर्च से भी बचा जा सकेगा।
- वर पक्ष से दहेज दापे के रुप में वधु पक्ष द्वारा ली जाने वाली राशि को आधा कर दिया है धीरे धीरे इसे भी खत्म करने के प्रयास किये जाऐगें। वहीं विभिन्न सामाजिक खर्चों को 50 हजार के अंदर ही समेट दिया गया है।
जहां पूर्व में दहेज दापा व सामाजिक खर्चो में 10 लाख के आस पास खर्च होता था वह अब इस निर्णय के बाद सिमट कर 4 लाख के आस पास हो जाएगा।
- दोनो पक्षों को सिर्फ एक एक किलो चांदी ही देना लेना होगी। समाज के अग्रणी मकनसिंग गुंडिया व काना गुंडिया ने बताया कि समाज के लोगों ने सामाजिक सुधार के लिये उक्त निर्णय पर अपनी सहमति दी है।
उक्त निर्णय से हटकर यदि कोई बनाऐ गऐ नियमों की अवहेलना करता है ओर पालन नहीं करता है तो उसे सामुहिक रुप से दण्डित ही नहीं किया जाऐगा अपितु 10 हजार रु. का अर्थ दण्ड भी दिया जाऐगा।
बैठक में पिटोल के अलग अलग फलियों के तकरीबन सौ से अधिक प्रमुख लोग उपस्थित थे। उन्होने बताया कि यदि कोई दुल्हा डीजे लेकर बरात लाता है तो वे उससे अपनी बेटी का विवाह नहीं करेगे।
प्रशासन के सुझाव व सलाह भी कर रहे उन्हें प्रभावित!
पूर्व सरपंच काना गुंडिया ने कहा कि कुछ दिनो पहले पुलिस अधीक्षक अगम जैन ने पिटोल पुलिस चोकी पर एक जन संवाद कार्यक्रम के दौरान आदिवासी समाज के उत्थान के लिये कुछ सुझाव दिये थे । जिस पर अमल करने के लिये उन्होने उक्त बैठक कर निर्णय लिये है ।
जो कि समाज में बढते फिजुल खर्चो को रोकने के लिये है। जिससे कि मेहनत मजदूरी कर अपने जीवन यापन को चलाने वाला आदिवासी मजदुर किसान कर्जदार हो रहा है।
समाज के अन्य लोगों ने कहा कि पिटोल क्षैत्र के आदिवासी भील समाज के उक्त निर्णय से जिले के अन्य क्षैत्रोे के लोगों को भी प्रेरणा मिल सकेगी। वे भी इस तरह की पहल कर सामाजिक उत्थान की दिशा में अपने कदम आगे बढा सकेगें।
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