बाघ के पिटोल क्षैत्र में घुमने की खबर के बाद मचता रहा हडकंप!
सोशल मिडिया पर घूमता रहा भ्रामक विडियो पिटोल क्षेत्र का बताया जा रहा था!
वनविभाग के अधिकारी ने यह दी जानकारी!
पिटोल ! बुधवार को पिटोल के समिप बावडी फाटक पर चल रहे रेलवे लाईन ट्रेक के पास बाघ के घुमने के एक विडियो जिसमें किसी व्यक्ति द्वारा शेर आया शेर आया के शोर के साथ ओर लोगों को सतर्क होने का आगाह किया जा रहा है उसे सोश्यल मिडिया पर पिटोल क्षैत्र का बताया गया। विडियो के वायरल होते ही वन विभाग भी सक्रिय हुवा ओर अन्य लोग भी अपने अपने स्तर पर ग्रामीणों के बीच जाकर वास्तविकता का पता लगाते रहे। यहां तक कि आसपास के रहने वाले लोगों नें अपने मवेशियों को घरों में बांध लिये व अतिरिक्त सतर्कता बरती जाने लगी।
इधर वन विभाग के अधिकारी दिन भर झाबुआ से पिटोल व खाटापानी के बीच चल रहे रेलवे ट्रेक पर इस तरह बाघ के विचरण करने की तेहकीकात करते रहे। रेलवे के उन लोगों से भी संपर्क किया जहां जहां काम चल रहा है।
बापुसिंग बिलवाल नें बताया कि कि उक्त विडियो कहीं ओर का है जिसे पिटोल के पांचकानाका का बताया जा रहा था। सुचना के बाद एसडीओ फारेस्ट प्रदीप कुमार कछावा के निर्देशन में वन विभाग की टीम में रेंजर हरिशंकर पाण्डे, वनपाल बापुसिंग बिलवाल, जोरावरसिंग नायक व अन्य सर्चिंग करते रहे। किंतु कहीं इस तरह से बाघ के क्षेत्र में घुमने के संकेत नहीं मिले है।
मवेशी चराने नहीं जा रहे ग्वाले!
बाघ के क्षेत्र में घुमने की खबर तेजी से फैली जिससे आस पास के लोग भयभीत हुवे। यहां तक कि पांचकानाका से लगाकर खाटापानी के लोग मवेशीयों को अपने घरों पर ही बांधे रहे। जंगल में मवेशियों को चराने जाने वाले ग्वाले भी बुधवार को खबर मिलते ही अपने मवेशियों को घर ले आऐ। कई लोग उस स्थल पर भी जानकारी लेने पहुंचे जहां रेलवे का काम चल रहा है।
इन्होंने दी जानकारी!
क्षैत्रिय वनपाल बापुसिंग बिलवाल नें बताया कि सोश्यल मिडिया पर पिटोल क्षैत्र में बाघ के घुमने की खबर भ्रामक है। पुरे ट्रेक की सर्चिंग कर ली गई है। उन्हें यहां ऐसे कोई संकेत नहीं मिले है। फिर भी वे वरिष्ठ अधिकारीयों के निर्देशन में अपनी टीम के साथ नजर रखे हुवे है। आवश्यकता होने पर ग्रामीणों को सतर्क किया जाऐगा।
भारत का राष्ट्रीय पशु है बाघ!
बाघ शेरों की प्रजातियों में से एक प्रमुख प्रजाति है। इस पर ओरेंज कलर होकर काली धारीयां होती है।
- किसी भी बाघ की धारीयां समान नहीं होती। जिस तरह मनुष्य के फिंगर प्रिंट्स एक से नहीं होते। चाहे फिर उनकी संख्या कितनी भी क्यों न हो।
- पूरे भारत में इनकी संख्या 2967 है वहीं म.प्र. में सबसे ज्यादा 526 बाघ है इसलिये प्रदेश को टायगर स्टेट का दर्जा मिला हुआ है।
- यह ताकतवर होकर दिखने में सुंदर होता है। वर्तमान में हमारा राष्ट्रीय पशु है।
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