झाबुआ से श्याम त्रिवेदी की खास रिपोर्ट
जबरन धर्मांतरण के मामले में पहली बार सजा।
आरोपी फादर, पास्टर, सेवक को कठोर कारावास और अर्थदण्ड।
झाबुआ। प्रलोभन देकर अवैध धर्मातरण किए जाने के एक मामलें में सत्र न्यायालय के सत्र न्यायाधीश लखनलाल गर्ग ने फैसला देते हुए तीन आरोपियों को दो-दो वर्ष सश्रम कारावास और 50,000-50,000 हजार के अर्थ दण्ड की सजा सुनाई है।
लोक अभियोजक मानसिंह भूरिया ने बताया की प्रकरण क्रमांक 10/2022 दिनांक 19 जुलाई 2023 को पारित निर्णय अनुसार ग्राम बिसौली निवासी जामसिंह पिता जोगडिया, क्रिश्चन अनसिंह पिता गलिया क्रिश्चन तथा मंगू पिता मेहताब क्रिश्चन को धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश 2020 (विधेयक 2021) की धारा-5 के अपराध का दोषी करार देते हुए दो-दो वर्ष सश्रम कारावास एवं 50,000 रूपये का अर्थदण्ड से दण्डित किया गया। श्री भूरिया ने बताया कि जबरन धर्मातरण मामलें में पहली बार न्यायालय द्वारा सजा सुनाई गई है।
यह था मामला।
लोक अभियोजक मानसिंह भूरिया ने जानकारी देते हुए बातया की आवेदक टेटिया पिता हुरू बारिया 26 निवासी ग्राम बिचैली द्वारा आवेदन प्रस्तुत किया गया था की मेरे गांव में फादर जामसिंह पिता जोगडिया डिंडोर निवासी बिसौली, मंगु पिता मेहताब भूरिया निवासी मोकमपुरा, पास्टर अनसिंह पिता गलिया निनामा निवासी ग्राम बिसौली हर रविवार को आदिवासी जाति के लोगों का धर्मातरण करवाता है।
जामसिंह पिता जोगडिया द्वारा बनाए गए प्रार्थना घर ग्राम बिसौली में साप्ताहिक सामूहिक धर्मातरण की सभा में मुझे और श्रीमती सुरती बाई पति कोदरिया ग्राम बिसौली को दिनांक 26 दिसंबर 2021 को सुबह लगभग 8 बजे जामसिंह ने बुलाया और ईसाइ धर्मांतरण की सभा में बिठाया। मेरे उपर जल छिडकाव किया गया। और बाईबिल पढी गई। मुझे कहा गया कि तु ईसाइ बन जाओगे तो तुम्हारे पूरे परिवार को स्कूल में शिक्षा और हमारी संस्था के अस्पताल में फ्री ईलाज मिलेगा। फरियादी ने कहा की मुझे ईसाइ नहीं बनना। यह कहकर फरियादी बाहर आ गया।
उक्त घटना की रिपोर्ट पर आरोपी जामसिंह, मंगु एवं अनसिंह के विरूद्व प्रकरण पंजीबद्व कर विवेचना में लिया गया। विवेचना आरोपीगण के मेमोरेण्डम के आधार पर उनके पेेश करने पर बाईबिल, अंकसूची, शपथ-पत्र, आरोपी अनसिंह से एक स्टील का लोटा जप्त कर पंचरमें बनाये गए। गवाहों के कथन लेखबद्व किये गए। विवेचना में आरोपीयों का अपराध धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश 2020 (विधेयक 2021) की धारा-5 आवश्यक विवेचना उपरान्त पाये जाने पर अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुुत किया गया।
माननीय न्यायालय द्वारा अभियोजन की ओर से परिक्षित साक्ष्य को विश्वसनीय व प्रमाणिक मानकर आरोपियों को कठोर कारावास एवं अर्थदण्ड से दण्डित किया गया।
अभियोजन की ओर से प्रकरण का संचालन लोक अभियोजक मानसिंह भूरिया द्वारा किया गया। प्रकरण का अनुसंधान सहायक उपनिरीक्षक प्रेमसिंह परमार द्वारा किया गया।
ताजा खबरों के लिए फॉलो करे
लाइक |