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अवर्षा से सुखती फसलों से चिंतीत ग्रामीणजन!
पिटोल से निर्भयसिंह ठाकुर की रिपोर्ट

श्याम त्रिवेदी
Last Updated 2023-09-03T10:56:38Z



पिटोल से  निर्भयसिंह ठाकुर की रिपोर्ट

अवर्षा से सुखती फसलों से चिंतीत ग्रामीणजन!

अंचलों में टोने टोटके का दौर शुरु!

प्रतिष्ठान बंद रख कोई मंदिरो पर तो कोई खेत खलिहान ओर जंगलों में पहुंचा उज्जवनी मनाने!

पिटोल।  गत पन्द्रह दिनों से क्षैत्र में वर्षा नहीं होने से चिंतीत लोग इन्द्रदेव को मनाने के लिये अपने अपने तरीके से जतन कर रहे है। कोई जिंदा इन्सान की अर्थी निकाल रहा है तो कोई घरों से बाहर जाकर अपने परिवार ओर समुहों के बीच खाना पका कर उज्जवनी मना रहा है। किसी नें मंदिरों में शिवालयों को जल में डुबा दिया है तो क्षैत्र की आदिवासी महिला किसान मेघराज से गुहार लगा रही है इस आशय के गीत गाते हुवे कि ‘‘ फसल सुख रही है, क्या हमारी मेहनत का ओर इम्तिहान बाकी है। बरस जाना वक्त पर हे मेघ, किसी का मकान गिरवी है, तो किसी का लगान बाकी है।’’ 


रविवार को उज्जवनी मनाने के लिये ग्राम पंचायत पिटोल द्वारा की गई मुनादी के बाद ग्रामीणों ने संपूर्ण रुप से अपने अपने व्यापारीक प्रतिष्ठान बंद रखे। लोगों ने अपने घरों में खाना नहीं पकाया। खेत खलिहान में पहुंचकर इन्द्रदेव से अच्छी बारिश के लिये प्रार्थना की। इसके पुर्व शुक्रवार को समिपस्थ कालाखुंट गांव की महिलाओं नें अपने गांव में देवी मां को मिट्टी से बंद कर कस्बे में गीतों के बीच गरबे खेलते हुवे गीतों के बीच पानी के लिये गुहार लगाई। 

सुखते पौधों को देख चिंता सता रही है!
दरअसल जिले के किसान की उम्मीदें बारिश की फसलों पर ही टीकी होती है। सिंचाई के लिये पर्याप्त पानी नहीं होने की वजह से जाडे के मौसम में होने वाली फसल का लाभ वे नहीं ले पाते। अपने वर्षभर के खाने की जुगाड इसी मक्का सोयाबीन की फसल से करते है किंतु पानी नहीं गिरने की वजह से फसल पर मंडराते खतरे को देख कर किसानों की चिंताऐं बढ रही है। बताया जाता है कि पिटोल जिस ब्लाक में आता है यानी झाबुआ ब्लाक में अब तक मात्र 566.6 मिमी. वर्षा ही हुई है। पथरीली जमीन में खडी फसलों को यदि ओर दो चार दिन पानी नहीं मिलता है तो वह सुखकर खतम हो जाऐगी। हिंदु भाई बबेरिया का कहना है कि यह समय फसलों में दाना भरने का है। यदि इस वक्त पानी नहीं मिला तो इस वर्ष की फसलों का आस्तित्व ही नहीं बचेगा। भु अभिलेखों की माने तो जिले भर में कुल 189256 हेक्टर जमीन में बुआई हुई है।

मजदूरी पर ही बचेगी निर्भरता!
किसान एवं मन्नुसिंग गुंडिया का कहना है कि जिले का किसान युं कहे तो मजदूरी करने के लिये अभिशप्त है। जैसे तैसे करके खेतों में मेहनत कर के किसान अपनी माली हालत को बदलने का प्रयत्न करता है। ओर इस तरह की प्रकृति की पडी मार से उसकी कमर टुट जाती है। वह फिर कर्जदार हो जाता है। ऐसे में उनके पास सिर्फ मजदूरी ही एक चारा बचा है। जिससे वे अपने परिवार का पालन पोषण कर सके। जिले में रोजगार के ओर कोई दुसरे अवसर नहीं है। इन हालातों के चलते जिले से पलायन अब उनके लिये नीयती बन चुका है।
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