पिटोल से निर्भयसिंह ठाकुर की रिपोर्ट
गुजरात से तीर कमान लेकर बेचने आते है पिटोल हाट बाजार में व्यापारी।
आदिवासीयों के पारम्परीक हथियार की खरीदारी में आम लोग भी पीछे नहीं।
पिटोल । आदिवासी जनजाती समाज के प्रमुख अस्त्रों में से एक तीर कमान जो कि झाबुआ अलीराजपुर के साथ ही गुजरात के पंचमहाल जिले व इससे सटे राजस्थान के बांसवाडा, कुशलगढ क्षैत्र के आदिवासी बहुल की पहचान के रुप में देखा जाने वाला ये शस्त्र अब समाज के लोगों के साथ आम लोगों की पसंद बनता जा रहा है। पिटोल हाट बाजार में बिकने को आने वाले तीर कमानों की बडी संख्या में लोग यहां खरीदी करते है।
कोई इसका उपयोग अपनी सुरक्षा के लिये तो कोई इसे अपने ड्राईंग रुम में सजा कर रखने के लिये इसकी खरीदारी करता है। यहां तक कि बहार से आऐ किसी खास मेहमान के लिये जिले की पहचान के रुप में इसे प्रतीक चिन्ह के रुप में भेंट करते है। मेहमानों में फिर विशिष्ट से लेकर अति विशिष्ट प्रधानमंत्री तक ही क्यों न हो। हाल ही में झाबुआ में आयोजित एक जनजाती सम्मेलन में प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव नें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को प्रतीक चिन्ह के रुप में तीर कमान भेंट की थी। मुख्यमंत्री की प्रधानमंत्री को जिले के प्रतीक चिन्ह के रुप में दी गई इस भेंट को क्षेत्र के आदिवासी समाज के लोगों ने उनकी सांस्कृति व पारम्परिक धरोहर को उपहार के रुप में प्रधानमंत्री जी को भेंट करने पर प्रसन्नता व्यक्त की।
बैंकों से लोन लेकर करते है रोजगार!
गुजरात के दाहोद जिले की धानपुर तहसील के नवा नगर के रहने वाले कालुभाई मडुभाई भुरिया ने बताया कि गत 7 वर्षों से वे पिटोल के इस हाट बाजार में तीर कमान बेचने के लिये आते है। ये तीर कमान वे खुद बनाते है। इसको बनाने के लिये लगने वाले बांस व अन्य संसाधनों के लिये बैंक से लोन लेकर वे इसे अपने रोजगार के लिये तैयार करते है।
उन्होने कहा कि हालांकि अभी इसको लेकर उनका व्यापार अभी मंदा है किंतु होली व भगोरिया आने पर उन्हें उम्मीद है कि हर वर्ष की तरह आदिवासी समाज के इस पारम्परिक शस्त्र की खरीददारी जमकर होगी। उस वक्त के लिये वे अभी से इसको बनाने के लिये जुटे हुवे है।
गुजरात के दाहोद, गरबाडा, जेसावाडा ओर दाहोद में ओर म.प्र के रानापुर ओर पिटोल के हाट बाजार में अधिक जाते है जहां इनको खरीदने के लिये लोग अधिक आते है। उनके ये तीर कमान 750 रुपऐ से लेकर 1000 रुपऐ बिकते है। जिन्हें हर कोई पसंद करते है।
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