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स्वर्गीय दिलीप सिंह भूरिया की पुण्यतिथि पर किया याद!
झाबुआ से श्याम त्रिवेदी की खास रिपोर्ट

श्याम त्रिवेदी
Last Updated 2024-06-24T10:24:20Z

झाबुआ से श्याम त्रिवेदी की खास रिपोर्ट

स्वर्गीय दिलीप सिंह भूरिया के प्रतिमा स्थल पर श्रद्धासुमन अर्पित करने पहुंचे उनके अनुयायी!

आदिवासी अंचल से उठी स्वर्गीय भूरिया को पद्म विभूषण से सम्मानित करने की मांग!

झाबुआ। आदिवासी नेता स्वर्गीय दिलीपसिंह भूरिया की नौवीं पुण्यतिथि पर आदिवासी अंचल से उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित करने की मांग उठी है। स्वर्गीय भूरिया ने आदिवासी हित और अधिकारों के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया। जिस तरह संविधान देश के हर नागरिक के अधिकारों की रक्षा करता है। उसी तरह से उन्होंने आदिवासियों को अधिकार प्रदान करने और ग्राम सभा को  सशक्त बनाने के उद्देश्य से वे पेसा कानून लेकर आए। ऐसे में अंचल का हर व्यक्ति चाहता है कि स्वर्गीय भूरिया के योगदान को देखते हुए उन्हें पद्म विभूषण जैसे राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा जाए। 

सोमवार को उनकी नौवीं पुण्यतिथि थी, ऐसे में मेघनगर नाका स्थित उनके प्रतिमा स्थल पर उनके अनुयायियों का मेला लगा। सभी ने आदिवासी समाज के उत्थान के लिए उनके द्वारा दिए गए योगदान को शिद्दत से याद करते हुए पुष्पांजलि अर्पित की। 

सुबह 9 बजे से ही प्रतिमा स्थल पर अन्युयायियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था, जो शाम तक अनवरत जारी रहा। स्वर्गीय भूरिया के प्रति उनके अनुयायियों की आस्था इतनी गहरी है कि झाबुआ जिले के साथ ही सीमावर्ती रतलाम जिले से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने कई लोग पहुंचे। 

स्वर्गीय दिलीपसिंह भूरिया दलगत राजनीति से परे आदिवासी समुदाय के बीच एक सर्वमान्य नेता थे। उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए उनकी बेटी महिला एवम् बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया, भाजपा जिलाध्यक्ष भानू भूरिया, पूर्व सांसद गुमान सिंह डामोर, अजजा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कलसिंह भाबर, पूर्व जिलाध्यक्ष शैलेष दुबे, विजय नायर, पूर्व नपाध्यक्ष पर्वत मकवाना, विश्वास सोनी, अक्षय कटारिया सहित जिलेभर के भाजपा नेता पहुंचे।

प्रतिमा पर 30मीटर का साफा बांधा!
स्वर्गीय भूरिया की पुण्यतिथि पर उनके भतीजे बालू भूरिया, बेटी महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया और भाजपा जिलाध्यक्ष भानू भूरिया ने आदिवासी संस्कृति के अनुरूप पूजन कर प्रतिमा पर 30 मीटर का साफा बांधा। इस दौरान जब तक सूरज चांद रहेगा, भूरिया जी का नाम रहेगा, जैसे नारे भी लगाए गए।
मेरे पिता एक सच्चे आदिवासी जननेता थे-
श्रद्धांजलि कार्यक्रम में महिला एवम् बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने कहा की मेरे पिता एक सच्चे आदिवासी जननेता थे। वो मेरे नायक हैं। उन्होंने हर वर्ग और तबके के उद्धार के लिए काम किया। वे आखिरी सांस तक देशभर के आदिवासियों के अधिकार के लिए संघर्ष करते रहे। पेटलावद क्षेत्र में आज जो हरित क्रांति दिखाई दे रही है, यह उनकी बदौलत है। 

भाजपा जिलाध्यक्ष भानू भूरिया ने कहा दिलीप सिंह भूरिया आदिवासी समाज ही नही पूरे झाबुआ जिले के गौरव थे। वे ऐसे नेता थे जो आजीवन आदिवासियों के अधिकारों के लिए लड़ते रहे। उनके योगदान को जनजाति समाज और झाबुआ जिला कभी भूल नही सकता। 

पूर्व सांसद गुमान सिंह डामोर ने कहा की स्वर्गीय दिलीप सिंह भूरिया ने आदिवासियों के लिए पैसा कानून लागू किया। में पूरे अंचल की ओर से केंद्र सरकार से ये मांग करता हूं कि वे स्वर्गीय दिलीप सिंह भूरिया को पद्म विभूषण से सम्मानित करें।
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